Tuesday, October 11, 2016

राम कथा सुरधेनु सम, सेवत सब सुख दानि



संदर्भ:
बालकाण्ड में गोस्वामी जी विस्तार में लिखते हैं कि किस प्रकार सती जी का दूसरा जन्म हिमवान और मैना जी की पुत्री पार्वती के रुप में हुआ और उनका फिर से भगवान शंकर से विवाह हुआ. विवाहोपरांत वे शिवजी से निवेदन करती हैं कि उन्हें रामकथा सुनाए. तब वे कहते हैं:


राम कथा सुरधेनु सम, सेवत सब सुख दानि |

सतसमाज सुरलोक सब, को न सुनै अस जानि|| बालकाण्ड (113)

भावार्थ:
श्री रामचन्द्रजी की कथा कामधेनु के समान सेवा करने से सब सुखों को देने वाली है और सत्पुरुषों के समाज ही सब देवताओं के लोक हैं, ऐसा जानकर इसे कौन न सुनेगा!॥

रामकथा सुन्दर कर तारी |
 संसय बिहग उड़ावनिहारी || बालकाण्ड (114.1)
भावार्थ:
श्री रामचन्द्रजी की कथा हाथ से बजने वाली सुंदर ताली है, जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है।

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