Saturday, October 29, 2016

धनद कोटि शत सम धनवाना। माया कोटि प्रपंच निधाना।।



धनद कोटि शत सम धनवाना। माया कोटि प्रपंच निधाना।।
भार धरन शत कोटि अहीशा। निरवधि निरुपम प्रभु जगदीशा।।

भगवान् श्रीराम अरबों कुबेरों के समान धनवान हैं और करोड़ों मायाओं के समान जगत् प्रपंच के निधान अर्थात कोश हैं। अरबों शेषनागों के समान भगवान् श्रीराम जगत् का भार धारण कर सकते हैं। प्रभु अवधिरहित और उपमारहित हैं तथा एकमात्र भगवान् श्रीराम ही सर्वशक्तिमान और जीव जगत् के ईश्वर हैं।

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